हिन्दू शिक्षा समिति हरियाणा प्रान्त के तत्वाधान में स्वामी गणेशानन्द सनातन धर्म विद्यालय, उचाना में तीन दिवसीय कन्या भारती कार्यशाला 28 जुलाई से 30 जुलाई 2016 तक हरियाणा प्रान्त की बालिका शिक्षा संयोजिका डा0 निर्मल पोपली जी और सहसंयोजिका श्रीमती मंजु मानव के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन हिन्दू शिक्षा समिति के सह संगठन मंत्री श्रीमान् रवि जी एवं उपाध्याक्षा श्रीमती राज विज के कर कमलों द्वारा माँ सरस्वती जी के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। श्रीमान् रवि जी ने कन्या भारती की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए बताया कि कन्या भारती कन्याओं का एक ऐसा संगठन है जो कन्याओं में नेतृत्व, कर्तृत्व और मातृत्व की भावना का विकास करने के उद्देश्य हेतु बनाया जाता है। रवि कुमार जी ने बताया कि नर्स केवल महिला ही होती है पुरूष नहीं। इसका मुख्य कारण यही है कि उसमें सहनशीलता और सेवा भाव होता है। दूसरे सत्र में राष्टीय स्तर के कोच श्री विजय धीमान एवं उनके दो सहयोगियों के द्वारा कन्याओं को आत्म सुरक्षा के उपाय सिखाए गए। रात्रि सत्र में विभिन्न विद्यालयों से आए कन्या भारती के पदाधिकारियों का परिचय हुआ। इस सत्र में हरियाणा प्रान्त के संगठन मंत्री माननीय बाल किशन जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने कन्या भारती की कार्य प्रणाली और उद्देश्य के संबंध में प्रतिभागियों से बात की।
29 जुलाई को विधिवत वंदना के पश्चात सामूहिक चर्चा का सत्र रखा गया। सभी प्रतिभागियों को 10 समूहों में विभाजित करके प्रत्येक समूह को एक-एक विषय चर्चा करने के लिए दिया गया। चर्चा के विषय थे – अच्छी आदतें , घर का भोजन, बड़ों से संवाद, पारिवारिक रिश्तें , कोचिंग, मोबाइल के लाभ व हानियाँ, सामाजिक चुनौतियाँ, पारिवारिक वातावरण, प्रगति बनाम पश्चिमीकरण आदि। प्रत्येक समूह ने अपने अपने विषय पर खुलकर चर्चा की और अनेक ऐसे बिन्दुओं पर प्रकाश डाला जो वास्तव में ज्ञानवर्धक थे। इस सामूहिक चर्चा के सत्र का उद्देश्य बालक-बालिकाओं में स्वतंत्र चिंतन की भावना का विकास करना एवं अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर देना था। यह सत्र वास्तव में सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत ही लाभदायक रहा। इस सत्र में श्रीमान् रवि कुमार जी और आचार्य गणेशानंद, शिक्षण संस्थान के निदेशक श्रीमान् राजीव जी उप्पल का सानिध्य प्राप्त हुआ। बच्चों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के उपरांत बताया कि हमें घर का भोजन ही खाना चाहिए। हमें बड़ों से मित्रतापूर्व संवाद करना चाहिए। पारिवारिक रिश्ते जीवन की मजबूती का आधार है। कोचिंग अर्थात ट्यूशन पढ़ना बिल्कुल अनुचित है। इससे जहाँ तक हो सके बचना चाहिए, मोबाइल का प्रयोग भी आवश्यकता के अनुरूप ही करना चाहिए, प्रगति बनाम पश्चिमीकरण के विषय पर चर्चा करने वाली बहनों ने बताया कि आज आधुनिकीकरण के नाम पर नैतिक मूल्यों का हनन हो रहा है। हमें पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के प्रभाव से बचना चाहिए और भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहिए। अगले सत्र में श्रीमती राज विज जी ने बच्चों को घर में पड़ी बेकार वस्तुओं से सजावट का सामान बनाने की कला सिखाई। सभी कन्याओं ने इसमें बढ़चढ़ कर भाग लिया।
हरियाणा के पारंपरिक व्यंजन कौन-कौन से है और उनको कैसे बनाया जाता है। इसकी कार्यशाला शिक्षा भारती विद्यालय रामनगर की बालिका शिक्षा प्रमुख श्रीमती रजनी मलिक ने ली और बच्चों को हरियाणा के पांरपरिक व्यंजन – गुलगुले, सुहाली, मट्ठी व मटर बनाने सिखाए। बच्चों ने ये व्यंजन बनाए और मजे से खाए। कुछ बच्चों ने तो बताया कि उन्हें पता ही नहीं कि गुलगुले क्या होते है और उन्होंने पहली बार गुलगुले खाए है जो उन्हें बड़े स्वादिष्ट लगे है।
बच्चे अनुभव करके ज्यादा सीखते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरस्वती यात्रा अर्थात एक शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया। सभी बच्चों को 10 समूहों में विभाजित करके अलग-अलग स्थानों – बैंक, डाकघर, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, तहसील, सिविल अस्पताल, गऊशाला, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, पुलिस थाना आदि स्थानों पर भेजा गया। वहाँ जाकर उन्होंने विभाग से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की। उनके द्वारा एकत्रित की गई जानकारियों को अभिव्यक्त करने के लिए प्रत्येक समूह से एक प्रतिभागी को मंच पर आमंत्रित किया गया। इस प्रकार सभी बच्चों को सभी विभागों से एकत्र की गई जानकारी का लाभ मिला। यह सरस्वती यात्रा बच्चों के लिए लाभकारी रही। बच्चों के शारीरिक विकास के उद्देश्य से संध्या समय एक सत्र खेल-कूद का भी रखा गया। उसमें बच्चों ने अनेक प्रकार के खेलों का आनन्द लिया।
दिनांक 29.07.16 की रात्रि को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने लोकगीत, भजन, पंजाबी व हरियाणवी देशभक्ति गीतो की मनमोहक प्रस्तुति दी। श्रीमान् राजीव जी उप्पल ने भी एक भजन और एक पंजाबी देशभक्ति गीत सुनाकर सब को भाव विभोर कर दिया। प्रान्त बालिका शिक्षा संयोजिका द्वारा बच्चों को सूर्य की उपासना में जल क्यों चढ़ाया जाता है, भूमि का वंदन क्यों किया जाता है, पीपल को जल क्यों चढ़ाया जाता है, स्त्रियाँ माँग में सिंदूर क्यों भरती है, कीर्तन करते समय ताली क्यों बजाते है, ब्रहम महुर्त में उठने के लिए क्यों कहा जाता है आदि विषयों में निहित वैज्ञानिक कारणों के विषय में सभी बच्चों को जानकारी दी। इसी प्रकार प्रान्त की उपाध्यक्षा श्रीमती राज विज जी ने स्त्री में निहित सात शक्तियों के विषय में बताते हुए कहा कि स्त्री शक्ति का एक अद्भूत भंडार है। उसमें कीर्ति ,वाक्, श्री, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा आदि अनेक शक्तियाँ विद्यमान है। समापन सत्र में श्रीमती राज जी विज ने सभी कन्याओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्होंने इस तीन दिवसीय कार्यशाला में जो कुछ भी सीखा है, जो कुछ भी अनुभव किया है उसे अपने अपने विद्यालय में जाकर अवश्य लागू करें और कन्या भारती के संगठन को और अधिक मजबूत बनाए।
इस तीन दिवसीय कार्यशाला में हरियाणा प्रान्त के 24 विद्यालयों से 124 पदाधिकारियों, 22 आचार्यों एवं 2 अभिभावकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में प्रान्त संगठन मंत्री श्रीमान् बालकिशन जी, सहसंगठन मंत्री श्रीमान् रवि कुमार जी उपाध्यक्षा श्रीमती राज विज जी, शैक्षिक प्रमुख श्रीमान् संतोष जी त्रिवेदी का सानिध्य एवं मार्गदर्शन मिला।