एक बालिका पर दो परिवारों को संस्कारित करने का दायित्व: रवि कुमार

बालिका विकास बालिका के नैसर्गिक गुणों के सरक्षण व संवर्धन तथा नेतृत्व क्षमता विकास हेतु दिनांक 27.7.2018 से 29.7.2018 तक शिक्षा भारती विद्यालय, राम नगर, रोहतक में हिंदू शिक्षा समिति कुरुक्षेत्र के तत्वाधान में तीन दिवसीय प्रांतीय कन्या भारती कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विद्या भारती के 21 विद्यालयों से लगभग 103 छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मुख्य वक्ता श्री रवि कुमार जी ने अपने उद्बोधन में बालिका शिक्षा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बालिकाओं के सर्र्वांगीण विकास पर बल दिया तथा बताया कि एक बालिका पर दो परिवारों को संस्कारित करने का दायित्व होता है।

महर्षि दयानन्द विश्व विद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की डीन डाॅ प्रोमिला बन्ना ने छात्राओं को बताया कि आधुनिकता के नाम पर अंधानुकरण करने से बचें और पारंपरिक मान्यताओं को अपनाते हुए आगे बढ़ें|

तृतीय सत्र में श्रीमती रजनी मलिक ने भाग लिया जिसमे उन्होंने हरियाणवी संस्कृति से विलुप्त होते पारंपरिक व्यंजन बनाने सिखाए । जिसमें छात्राओं ने रसगुल्ले बनाने के साथ-साथ अन्य व्यंजनों को बनाने में काफी रुचि दिखाई। चतुर्थ सत्र में शारीरिक प्रशिक्षण प्रमुख प्राची दीदी ने छात्राओं को आत्मरक्षा के गुण सिखाए। मीरा रंजन दीदी के द्वारा छात्राओं ने योग के महत्व और बारीकियों के बारे में जाना।  परिचर्चा सत्र में 21 विद्यालयों की 103 छात्राओं को कोचिंग, सोशल मीडिया की सीमाएँ व आवश्यकता, क्रियात्मक देश भक्ति, देश और समाज की मानसिकता, संयुक्त परिवारों से एकल होते परिवारों इन विषयों पर समुह्नुसार चर्चा हुए| श्रीमती रजनी मलिक ने बालिकाओं को रंगाई, सिलाई जैसे गृह-विज्ञान के विषयों की जानकारी दी तो श्रीमती राजविज के मार्गदर्शन में उन्होंने ‘कबाड़ से जुगाड़’ के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। सांयकाल में छात्राओं को सरस्वती यात्रा के तहत सामाजिक समरसता का भाव जागृत करने व प्रशासनिक

कार्यों की जानकारी देने हेतु उन्हें समाचार पत्र के छापाखाना , महिला थाना, डाकघर, सिविल अस्पताल, कर्णपुरी का डेरा, सेवा डिस्पेंसरी, अनाथ आश्रम व वृद्ध आश्रम, आदि जगहों पर ले जाया गया। दिनाँक 29 जुलाई, 2018 को कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन की शुरुआत प्रातः स्मरण व योग से हुई। इसी सत्र में छात्राओं ने ऊर्जा व स्फूर्ति से भरपूर अनेक खेल खेले। तत्पश्चात् बौद्धिक सत्र के मुख्य वक्ता श्रीमान् बालकिशन जी ने अपने उद्बोधन में बालिकाओं को निरंतर सीखने का प्रयास कर उसे व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज कोई भी क्षेत्र बेटियों की पहुँच से बाहर नहीं है। अतः बेटियों के लिए शिक्षा इस प्रकार से हो कि वह यादगार बन जाए।

 

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