शिक्षा एवं शिक्षण जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है अत: कहा जाता है ‘सिखने की कोई उम्र नहीं होती’ इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए विद्या भारती ने विभिन्न विषयों के प्रशिक्षण की चल रही कार्यशालाओं में एक स्थान बालक के सर्वागिण विकास की अवधारणा को पुष्ट करने वाले ‘आधारभूत विषयों ‘ को भी दिया तथा दिनांक 13 जुलाई से 15 जुलाई तक राधा लाल गीता विद्या मंदिर, अम्बाला शहर में इस कार्यशाला के माध्यम से आधारभूत विषय (शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं अध्यात्मिक शिक्षा) के प्रान्त प्रमुखों, सह प्रमुखों तथा संकुल प्रमुखों को प्रशिक्षण प्रदान किया|
प्रतिभागिता की दृष्टि से 26 संकुल प्रमुख 7 प्रान्त प्रमुख एवं सह प्रमुख उपस्थित रहे जिनमे 26 आचार्य भैया एवं 07 आचार्य बहनें रही|माँ सरस्वती की आराधना के उपरांत राष्ट्रीय मंत्री माननीय श्री हेमचन्द्र जी से आशीर्वाद स्वरूप मार्गदर्शन प्राप्त हुआ तथा पञ्चकोशीय विकास की अवधारणा स्पष्ट हुई, माननीय सह संगठन मंत्री श्री रवि कुमार जी द्वारा आधारभूत विषयों के परस्पर समन्वय पर विस्तार से चर्चा की गई तथा यह सपष्ट किया गया कि पाँचों आधारभूत विषय परस्पर मिलकर छात्र के विकास का आधार बनाते है, अन्य सत्रों में सभी विषय प्रमुखों ने मिलकर आधारभूत विषयों के क्रियान्वयन में यदि कहीं कोई कठिनाई आती है तो उसका निराकरण कैसे हो ? इस विषय पर गहन विचार कर निष्कर्ष निकला गया तथा स्वयं विषय प्रमुखों ने कक्षा में जाकर छात्रों को पढाया तथा पूर्व विचारित विषयों को क्रियान्वित किया, आदरणीय श्री रामकुमार जी ने विषयों के दैनिक पाठ्यक्रम में समायोजन पर चर्चा की तथा समापन सत्र में सगठन मंत्री माननीय श्री बालकिशन जी ने विद्यार्थी के समग्र विकास में आधारभूत विषयों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्षेत्र में कार्यशाला से गृहीत विषयों के क्रियान्वयन पर मार्गदर्शन किया तथा अंत में शांति मन्त्र के साथ कार्यशाला सम्पन्न हुई|
प्रांतीय प्रिशिक्षण टोली के श्री रामकुमार जी, श्री सुभाष जी, श्री अनिल कुलश्रेष्ठ जी श्री शेषपाल जी उपस्थित रहे|