पुस्तकों का छात्र के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है अगर पुस्तक में छात्रों के अनुरूप ज्ञान नहीं होगा तो छात्र का भविष्य सार्थक नहीं हो सकता। विद्या भारती के इसी उद्देश्य को लेकर विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने अपने प्रकाशन विभाग के लेखकों की बैठक (दिनांक 17 से 18 अक्तूबर 2020 ) का आयोजन कुरुक्षेत्र में किया । प्रथम सत्र में श्री देशराज शर्मा-महामंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने लेखकों के समक्ष उद्बोधन में कहा कि बच्चों के कौशल में सुधार हो ऐसा पुस्तकों का निर्माण होना चाहिए इसके इलावा चर्चा करते हुए कहा कि गणित की पुस्तकों मे अवधारणाएं और क्रियाकलाप बढ़ने चाहिए, कारटून चित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, पुस्तकों का मूल्यांकन साधारण हो व आसानी से उपलब्ध हो।
विज्ञान विषय की पुस्तकों की समीक्षा हर वर्ष करने का निर्णय भी लिया गया। बच्चों के लिए मनोरंजन का विषय एवं रुचिकर विषय होना चाहिए। विषय एक दूसरे विषय के साथ जुड़े हो और इनमे संस्कृति और उदाहरण का समावेश हो । दूसरे अच्छे प्रकाशकों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण होना चाहिए।
अगले सत्र में श्री रवि कुमार जी-संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार ही पुस्तकों कि योजना हो। NEP-NCF (NCFT)-Syllabus – Text books पुस्तकें मातृभाषा में हो और उनमें स्थानीय सामग्री का समावेश हो, विषय वस्तु सामग्री का जुड़ाव कला से हो, एकीकृत अनुभव हो एवं विद्यार्थी के आवश्यकताओं को समझना आदि। इसी प्रकार श्री कुलदीप मेहंदीरत्ता-प्रोफेसर चौ० बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी ने लेखन संकल्पना एवं पाठ समीक्षा प्रक्रिया को PPT के माध्यम से बताया कि पाठ लेखन इस हिसाब से हो कि छात्र को क्या, कब, कहाँ, कैसे, और क्यों के ज्ञान के माध्यम से तार्किक शक्ति का विस्तार किया जा सके।
समापन सत्र में श्री विजय नड्डा – संगठन मंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र में अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित किया और कई घटनाओं कि चर्चा की और बताया कि अगर कोई कमी है तो उसे स्वीकार करना चाहिए, ताकि पूर्णता कि तरफबढ़ा जा सके। पाठ लेखन विषय को जीवन मूल्यों के साथ जोड़ा जाए तथा सफलता के लिए सैदेव अग्रसर रहें। इस बैठक में पूरे क्षेत्र से 26 सहभागियों ने भाग लिया |