विद्या भारती का लक्ष्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है और बालक का विकास वैसा ही होगा जैसी प्रधानाचार्य की दृष्टि होगी। वर्तमान परिदृष्य में प्रधानाचार्य के प्रशिक्षण की दृष्टि से विद्या भारती हरियाणा ने चार दिवसीय (24 से 27 जून, 2019) प्रधानाचार्य कार्यशाला का आयोजन नन्द लाल गीता विद्या मन्दिर, तेपला अम्बाला में किया। श्री रवि कुमार जी प्रान्त संगठन मंत्री ने कार्यशाला की भूमिका और आधारित शिक्षण के लिए प्रधानाचार्य को प्रेरित किया एवं बताया कि प्रधानाचार्य विद्यालय का केन्द्र बिन्दू है उन्होंने कहा कि जो प्रधानाचार्य शिक्षक, शिक्षार्थी, पाठ्यक्रम का मूल्यांकन, वातावरण, शिक्षण पद्धति, समाज के साथ समन्वय आदि को समायोजित कर योजना रचता है उस प्रधानाचार्य की योजना अवश्य सफल होती है। श्री सुरेन्द्र अत्री-उपाध्यक्ष विद्या भारती उत्तर क्षेत्र जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्या भारती का लक्ष्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। उन्होेंने कहा बालक इसके अनुरूप बने और इसका माध्यम विद्यालय बने।
श्री देशराज जी-महामंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने विद्यालय की वार्षिक योजना को कैसे तैयार करें इस विषय के महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रधानाचार्याें के समक्ष रखे। प्रयोगात्मक सत्र विज्ञान प्रयोगशाला में करवाये गये जिसमें विभिन्न विज्ञान के प्रयोगों द्वारा शिक्षण दिया गया। प्रधानचार्यों को अलग-अलग कक्षाओं में शिक्षण के लिए भेजा गया जिसमें श्रवण, वाचन, पाठन और लेखने का अवलोकन किया गया और उसमेंं उन्ययन हेतु गतिविधियां करवाई गई। श्री हर्ष कुमार जी ने बालक के विकास की अलग-अलग प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा की। इसके अतिरिक्त अन्य सत्रों में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ ने जीवन मूल्य आधारित कथा-कथन शिशुवाटिका करणों का विकास, अनुभव आधारित शिक्षा, शिक्षा मनोविज्ञान, सामाजिक परिवर्तन हेतु प्रोजेक्टस आदि विषयों पर को जानकारी दी। सामाजिक सरोकार की दृष्टि से संस्कार केन्द्र दर्शन, ग्राम सर्वेक्षण एवं अभिभावक सम्पर्क हेतु सभी प्रधानाचार्य विभिन्न टीमों में तेपला के निकट ग्रामों में होकर आए। सभी प्रधानाचार्याें ने अपने अनुभव शेयर किए। प्रातः कालीन सत्र में योग एवं सांयकालीन सत्र में शारीरिक विषय का प्रशिक्षण भी प्रधानाचार्याें को दिया गया। कार्यशाला में कुल 38 प्रतिभागियो ने भाग लिया।