विद्यार्थी को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी आवश्यक हैं ताकि विद्यार्थी का सर्वंगीण विकास हो सके क्योंकि संस्कारवान शिक्षा मिलने पर विद्यार्थी का भविष्य उज्जवल बन सकता है और यह तभी संभव हो पायेगा जब आचार्यं प्रशिक्षित होगा | आचार्यों को प्रशिक्षित करने के लिए ही विद्या भारती हरियाणा के तत्वाधान में हिन्दू शिक्षा समिति के अंतर्गत 15 दिवसीय (1 से 15 जून, 2019) आचार्य विकास वर्ग का आयोजन गीता निकेतन आवासीय विद्यालय परिसर, कुरुक्षेत्र में हुआ जिसमें 20 विद्यालयों से 98 आचार्यों की प्रतिभागिता रही | वर्ग की दिनचर्या में प्रात: 5 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक शिक्षण-प्रशिक्षण की सभी गतिविधियों में जैसे योग, चर्चा, दिशाबोध, शिक्षण सत्र, शारीरिक व रात्रि के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कालांश लिए गए
श्री सुरेन्द्र अत्री जी उपाध्यक्ष-विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ चलने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है प्रशिक्षण वर्ग यानि की तपस्या और तपस्या मनोभाव से सफल होती है| वर्ग में शिक्षार्थी की भूमिका में रहकर सीखना सरल एवं सहज होता है वर्ग में उसी प्रकार का अनुशासन अपेक्षित होता है जैसा कि विद्यालय में विद्यार्थी से| प्रशिक्षण वर्ग का विशेष अभिप्राय यही है कि मिलकर कार्य करने का स्वभाव और अच्छी आदतों का अभ्यास एवं कठिन बातों का सरलीकरण है छात्रों के गुणों को निरक्षण करके आगे बढ़ाना प्रशिक्षण से ही संभव है|
वर्ग में श्री विजय जी-प्रान्त प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी आए प्रतिभागियों का उद्बोधन देते हुए कहा कि प्रशिक्षण शिविर में शिक्षक अध्यापन के समय अलग-अलग विषयों पर केन्द्रित ज्ञान प्राप्त करता है, जिसके बिना प्रत्येक शिक्षक का विषय ज्ञान अधुरा है | अगर समय-समय पर उसका प्रशिक्षण होता रहे, तो वह अपने कार्यों में नया पन ला सकते है हर शिक्षण संस्थान द्वारा प्रिशिक्षण कार्यक्रम आयोजन करने चाहिए|
श्री अवनीश भटनागर जी, राष्ट्रीय मंत्री विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संसथान ने शिक्षा जगत में रही चुनौतियों एवं समाधान के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि आज शिक्षा क्षेत्र में ज्ञान के नए नए विस्फोट हो रहे है और अनेक प्रकार की चुनौतियों भी खड़ी हो रही है सरल से कठिन की ओर सिखने की प्रक्रिया जन्म से पूर्व ही प्रारंभ हो जाती है तथा जीवन पर्यन्त चलती है | सिखने की प्रक्रिया जहाँ से प्रारंभ होती है चुनौतियों भी वहीँ से शुरू होती है शिक्षा को केवल कक्षा कक्ष तक सिमित मान लेना सबसे बड़ी चुनौति है|
श्री रवि कुमार जी-संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा ने आचार्य विकास वर्ग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अध्यापन के समय एकाग्रता बहुत जरूरी है आचार्यों को कक्षा में विद्यार्थी की रुचि का ध्यान रखना चाहिए| शिक्षक में गुणात्मक विकास संभव है विद्यार्थियों को शिक्षित करने से पूर्व शिक्षक को भी अपने आप को सजग करना होगा|
सभी प्रतिभागियों अनौपचारिक शिक्षण के अंतर्गत सामाजिक संवेदन जागरण के लिए कुरुक्षेत्र नगर के आस-पास के क्षेत्र में सर्वेक्षण किया| ईंटो के भट्टे, संस्कार केंद्र, बस्तियों व ब्रह्मसरोवर पर साधु समाज पर जाकर नके जीवन, रहन सहन, आय साधन, शिक्षा व रोजगार आदि के विषय में सर्वे किया अपने विचार साँझा किये|
श्री पंजक शर्मा-पूर्व छात्र प्रमुख विद्या भारती हरियाणा ने भी प्रतिभागियों को पूर्व छात्रों को विद्या भारती की विशेष पूंजी बताते हुए पूर्व छात्र द्वारा प्रान्त किए जान वाले कार्यों का विश्लेषण किया एवं पूर्व छात्र से सम्बंधित पोर्टल VIDYABHARTIALUMNI.ORG पर पूर्व छात्रों के पंजीकरण के बारे में बताया| श्री संजय चौधरी-प्रचार प्रमुख विद्या भारती हरियाणा ने अपने विचार रखते हुए कहा की प्रचार किसी भी संगठन की विशेष शक्ति होती है जिससे वह अपने विचार अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचा सकते है सोशल मिडिया पर सक्रीय और प्रान्त में चल रहे मीडिया हैंडल के बारे में बताया एवं विज्ञप्ति कैसे लिखना| विद्या भारती हरियाणा प्रचार विभाग की ओर से छपने वाली पत्रिका “धेय्य चिंतन” एवं शिक्षा से शिक्षा से सम्बंधित सामग्री हेतु www. Rashtriyashiksha.com के बारे में बताया|
वर्ग का समापन 15 जून को किया गया जिसमें हिन्दु शिक्षा समिति में मुख्य अतिथि डॉ राजेन्द्र कुमार अनायत-कुलपति दिनबन्धु छोटूराम विश्वविद्यालय, सोनीपत ने कहा कि बच्चों को शिक्षा एक अध्यापक बन कर नहीं एक आचार्य बन कर देनी चाहिए| अध्यापक बनना सरल है लेकिन आचार्य बनना कठिन है| अध्यापक केवल कक्षा को पढ़ाता है और आचार्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ आचरण, संस्कार भी सिखाता है| हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम एक अच्छे आचार्य बने| अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय एक विश्वास के साथ भेजता है की वहां बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा हमें उनके विश्वास पर खरा उतरकर दिखाना है