सेवक/सेविका कार्यशाला 7 अगस्त 2016 को उचाना मंडी में संपन हुई जिसमे दीप प्रज्वलित वरिष्ट सेवक श्री सीताराम, श्री सतबीर शर्मा व श्री आजाद सिहं द्वारा किया गया। वन्दना की प्रस्तुती से कार्याशाला का शुभ आरम्भ हुआ। प्राचार्य श्री पकंज शर्मा ने सभी मुख्यअतिथियो का परिचय करवाया। उद्घाटन सत्र में श्री राजीव उप्पल जी, श्री आजाद सिंह जी, श्री धर्मवीर जी, श्री विनय जी, श्री सतेन्द्र जी मुख्य अतिथि उपस्थित रहें। प्राचार्य श्री पंकज शर्मा ने ’देश हमे देता है सब कुछ’ देशभक्ति गीत गाया।
पहला सत्र
पहले सत्र में श्री राजीव जी का बौद्धिक रहा। उन्होने बताया कि जिस प्रकार हमारा शरीर छोटे-2 अंगो से मिलकर बना हैं इसी प्रकार सभी सेवक/सेविकाओं आरै अध्यापकों सहयोग से संस्था अच्छी चलती है। मातृ प्रणाम की कैसे करना और वन्दना की विस्तृत व्यख्या की और उसके महत्व को बताया। उन्होने बताया कि सभी को अपना कार्य भावनात्मक और अपना समझ कर करना। ऐसा करने से हमारा देश निशिचय ही विश्व में सिरमोर होगा। संसार में जीवन यापन के लिए संस्कारो का होना जरूरी है। सेवक, सेविकाएं बच्चो को संस्कार सिखाने में महत्वपुर्ण भुमिका निभा सकते है। एक अच्छी आदत जिन्दगी मे बहुत बड़ा काम कर सकती है। जो जज्बा सेना के सैनिक में होता है वही प्रत्येक आचार्य व सेवक सेविका में होना चाहिए। हम अपने काम करने के तरीको से मानव बनते है और गलत तरीके से दानव बनते है।
दूसरा सत्र- योग एवं खेल कूद
यह सत्र दो भागो में रहा भाइयों का अलग व बहनों का अलग से रहा। भाईयों में आचार्य कपिल जी, राजेन्द्र जी, प्रवीन जी, पवन भाना जी, बलजीत जी, रणधीर चहल जी ने योग एवं गगां स्नान, शेर/मानव/बन्दूक, टैन्क युद्ध का खेल खिलाया। सेविकाओं के समुह में भी विभिन्न प्रकार के योग व खेल करवाए गए। पुरे व्यायाम एवं योग कालांश के दौरान बड़ा अच्छा वातावरण बना रहा एवं सभी के चहरो पर सारात्मक जोश नजर आया।
तीसरा सत्र- वर्गानुसार बैठके
- चालक परिचालक वर्ग:-
इस वर्ग में श्री आजाद जी ने चालक परिचालक के साथ निम्न बिन्दू पर विचार विमर्श किया। बच्चो को ध्यान से चढ़ाएं/उतारें व सड़क पार ध्यान से करवाएं। शहनशीलता, अच्छे विचार, यातायात के नियम,
- माली, चाकीदार व सुरक्षा कर्मी वर्ग
इस वर्ग में श्री धर्मवीर जी, प्राचार्य डी0एड0 व विनय चाहैान ने माली, चाकीदार व सुरक्षा कर्मी से सुझाव लिए कि कैसे हम संस्था को आगे बढ़ा सकते है।
चौथे सत्र-भजन एवं चलचित्र
भोजन के बाद लघु चलचित्र दिखाए गए। पहली क्लीप में हाथ की कला दिखाई जो भारतीय संस्कृति के मिशाल पेश करती हैं। दूसरी क्लीप में एक व्यक्ति एक बच्चे की मदद करता है और वह बच्चा पढ़ाई करता है। तीसरी क्लीप में स्वच्छता का महत्व बताया गया।
इसके बाद भजन में सफिदो से आयी सेविका ने ’ यशोमती मयैा मैं क्यो काला’, नरवाना सेआयी एक सेविकाओं ने सामुहिक भजन ’ कभी श्याम बनके, कभी राम बनके’ उचाना के अजमेर माली ने ’मनवा मत फिरे भुला रे’, सेविका नीलम व रेखा ने सावन का भजन गाया।
अन्त में संस्थ के शिक्षा निदेश्क श्री राजीव उपल्ल जी ने ’ तारा है सारा जमाना’ भजन गाया। सभी ने मिलकर साथ मिलकर गाया। ऐसे प्ररेणादायक गीतो व भजनो से कार्यशाला में चार चांद लगा दिए।
पांचवें सत्र – समापन एवं अनुभव
समापन सत्र पर सभी ने कार्यशाला के बारे में अपने-2 अनुभव सुनाए। कुल मिलाकर सभी को कार्यशाला में आकर बहुत अच्छा लगा। समापन पर बाल किशन जी का बोधिक रहा। उन्होने बताया की हम सब सेवक, सेविकाए है जो समाज और देश की भलाई का कार्य करते है। संस्था के प्रति हम सब का भाव परिवार वाला होना चाहिए। इस नाते हमारा कर्तव्य है कि हम अपने परिवार व बच्चो का पूरा ध्यान रखे। हिन्दू संस्कृति की परम्परा को बनाए रखना जसै तुलसी का पौधे लगना, चिड़ियां को दाना डालना, गाय को रोटी देना। गाय पालने के बहुत सारे लाभ है। घर ठीक होगा तभी हम आगे कि सोच सकते हैं मन में दृढ़ इच्छा से ही काम सम्भव होते हैं। भलाई का काम करने वाला माहत्मा कहलाता है। हम सब भगवान के सेवक है। विद्या भारती परिवार बहुत विशाल है जिसमें लगभग एक करोड़ भयैा-बहिनें काम करते हैं। हम सब एक समाज का हिस्सा है किसी प्रकार का भेदभाव नही चाहिए। आगे बढ़ना ही देश भक्ति की भवना को दर्शाता है। ऐसी हमारी कामना, इच्छा और सोच है और आप सब का सहयोग अपेक्षित है। श्री धर्मवीर जी, प्राचार्य डी. एड. ने सभी का वर्ग में पहुचने पर धन्यवाद किया। उन्होने कहा कि सभी के खुश चेहरो से पता लग रहा है कि कार्यशाल अच्छी रही। प्राचार्य श्री पंकज शर्मा जी ने शान्ति मन्त्र बोलकर समापन की घोषणा की। जाते समय सभी को जल पान करवाया गया।