शिशुवाटिका में शिशु का विकास करना ही शिशुवाटिका का उद्देश्य हैः रवि कुमार

दिनांक 26 से 29 दिसम्बर 2018 को विद्या भारती हरियाणा द्वारा गीता विद्या मन्दिर गोहाना में 4 दिवसीय शिशुवाटिका कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में 28 विद्यालयों से 65 आचार्य दीदी की प्रतिभागिता रही। कार्यशाला का उद्घाटन श्री रवि कुमार जी-सह संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना के साथ किया गया। श्री रवि कुमार जी ने अपने उदबोधन मे शिशुवाटिका की संकल्पना एवं इसके प्रमुख आधार पर चर्चा की एवं अन्य विद्यालयों में चल रही NUR, KG एवं विद्या भारती के विद्यालयों मे चल रही शिशुवाटिका के बीच अन्तर को समझाया उन्होंने कहा कि शिशुवाटिका में आने वाले शिशु के साथ आत्मीय संबध बनाकर उन्हे संस्कार दिए जाते है उनके शारीरिक, मानसिक आवश्यकताओं को समझ कर उनका विकास करना

शिशुओं को स्नेह, स्वतन्त्रता एवं आनन्द देना उन्हे क्रियाशील बनाना ही शिशुवाटिका की संकल्पना है और इसके आधार है।
कार्यशाला को कई सत्रों मे रखा गया जिसका आरम्भ हवन कर एवं उसकी विधि कर समझा गया। सत्र में अभिभावक प्रबोधन क्या और क्यों श्री रवि कुमार जी ने आचार्यों को बताया कि किस प्रकार से समय समय पर अचार्य अभिभावक प्रबोधन, मातृ गोष्ठी, अभिभावक गोष्ठी, दादा-दादी गोष्ठी सम्मेलन समय-समय पर होने चाहिए। शिशुवाटिका में विशेष रूप से छोटे-छोटे समुहों में चर्चा परिचर्चा होनी चाहिए जिसमे बालक के स्वास्थ्य सम्बन्धी आहार-विहार सम्बन्धी जानकारी लेनी व देनी चाहिए। वर्ष में दो या तीन बार शिशुवाटिका मातृ गोष्ठी होनी चाहिए व वर्ष मे दो बार आचार्या को बच्चों के घर भी अवष्य जाना चाहिए।
अभिभावक प्रबोधन शिक्षा के क्षेत्र में एक सुदृढ स्तम्भ है। माता पिता के बीच उनकी भूमिका, शिशु का आहार संस्कारक्षम वातावरण, शिशु के कपड़े, खिलौने, शिशु के स्वास्थय पर चर्चा हो। कार्यशाला के चतुर्थ सत्र में शिशुवाटिका क्रियाकलाप का प्रत्यक्ष अवलोकल किया। कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों दीदियों ने शिशुवाटिका बगीचे में शिशुओं के विभिन्न क्रियाकलापो व शिशुवाटिका बगीचे का निरीक्षण किया। कार्यशाला के पंचम सत्र मे श्रीमती नम्रता दत्त जी ने शिशु मनोविज्ञान को पी.पी.टी द्वारा बातया कि शिशु जन्म से लेकर पांच वर्ष तक किस प्रकार विकास करता है उनके मन एवं भावों को समझना चाहिए। कार्यशाला के षष्टम् सत्र में श्रीमती सुनीला जी-क्षेत्रीय शिशुवाटिका प्रमुख ने शिशुवाटिका की 12 शैक्षिक व्यवस्थाओं एवं उनमें होने वाले क्रियाकलापों का विस्तार से चर्चा के माध्यम से वर्णन किया। विद्यालय के परिसर में प्रत्यक्ष शैक्षिक व्यवस्थाओं का अवलोकन किया जिसके पश्चात सभी की दिषा स्पष्ट हुई एवं शिशुवाटिका विज्ञानशाला मे वस्तुओ को लुढकाना, घुलना, तैरना, डूबना इत्यादि क्रियाकलापों के विषय पर चर्चा हुई।

कार्यशाला के अगले सत्र में शिशु विकास का मुल्यांकन किस प्रकार हो इस विषय शिशुवाटिका प्रान्त संयोजिका सुनीता वर्मा जी ने अपने वक्तव्य ने कहा कि शिशु का मुल्यांकन जो वर्तमान मे हम करते है वह उसका केवल 20 प्रतिशत है। हमें शिशु का मूल्यांकन जो वर्तमान मे करना है तो उसका शारीरिक विकास ठीक प्रकार से हो रहा है या नहीं उसका वजन उसकी आयु से कम या अधिक तो नहीं खेलने में उनकी रूचि कैसी है भागते या दौड़ते हुए वह हाफता तो नहीं है वर्ष के आरम्भ से अब तक क्या विकास हुआ इसका भी मूल्यांकन होना चाहिए।

29 दिसम्बर को कार्यशाला का समापन कार्यक्रम हुआ कार्यक्रम मा. बालकिशन जी-संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा उपस्थित रहे मा. बालकिशन जी ने अपने शिशुवाटिका के जुड़ी मुख्य बाते साझां की किस प्रकार हम अपने विद्यालय की शिशुवाटिका में शिशुओं का विकास पर बल दे सकते है। कार्यशाला में श्री रामकुमार जी, विद्यालय प्रबंध समिति, एवं पूरा विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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