अखिल भारतीय संस्कृति मंत्रालय कार्यशाला समीक्षा बैठक का कुरुक्षेत्र में हुआ मंथन

भारत की गौरवशाली संस्कृति से युवा पीढ़ी कों रूबरू कराने के लिए पहले देश भर में तीन महीने तक कार्यशालाएं लगाई गई। देशभर में 448 जिलों में 1388 कार्यशालाएं आयोजित कर भारतीय संस्कृति के सरक्षण एवं संर्वधन पर जोर दिया गया। अब इन कार्यशालाओं की समीक्षा के लिए कुरुक्षेत्र में तीन दिन मंथन किया गया। जिसमें देशभर से कार्यशालाओं के समन्वयकों ने हिस्सा लिया। समीक्षा बैठक में निचोड़ निकाला कि हमारी शिक्षा का आधार ही संस्कृति होना चाहिए। यह कार्यशालाएं केद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने विद्या भारती संस्थान के सहयोग से लगाई। 1 अप्रैल से 30 जून तक देश के 448 जिलों में संपन्न हुई।
इस साल संस्कृति संरक्षण संवर्धन अभियान के तहत 448 जिलों में कार्यशाला लगाई। डॉ. रामेंद्र के मुताबित समीक्षा बैठक में फैसला लिया कि अगले साल इन कार्यशालाओं की संख्या बढ़ाई जाए। देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में केवल जिलास्तर, बल्कि तहसील स्तर पर भी इनका आयोजन किया जाए।
संस्कृतिकों शिक्षा का आधार पर जोरः

अखिल भारतीय समीक्षा बैठक में पहुंचे विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री जे. एम काशीपति ने कहा कि 21वीं शताब्दी में शिक्षा का आधार संस्कृति होनी चाहिए। हमारा लक्ष्य 2025 तक ‘हिंदुत्व एक जीवन पद्धति, एवं हिंन्दू दर्शन ’को जन-जन तक पहुंचाना है। शिक्षा संस्कार से नर नारायण बनता है शिक्षा संस्कार के माध्यम से युवा पीढ़ी में देशबोध, समाज बोध, संस्कृति बोध द्वारा देश की विशिष्टता अध्यात्म बोध हो।
यह शिक्षा क्षेत्र का आधार बननी चाहिए। यह कार्यशालाएं आगे भी होती रहनी चाहिए। विद्या भारती के संरक्षक ब्रह्मदेव शर्मा ने कहा कि विद्या भारती के क्षेत्र में हम सब लम्बे समय से कार्य कर  रहे है। शिक्षा से देश की युवा पीढ़ी खड़ी होती है इससे गौरवशाली भारत को वैभवशाली भारत बनाकर खड़ा कर सकते हैं। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा कि विद्या भारती ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आठ लाख तक सदेश संस्कृति संरक्षण अभियान के नेशनल प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर डॉ. रामेंन्द्र सिंह के मुताबित संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रम के तहत एक अप्रैल से 30 जून तक ये वर्कशाप लगाई गई। करीब 1388 वर्कशाप में कक्षा चार से 12वीं तक के लगभग आठ लाख विद्यार्थियों ने शिरकत की। जिनमें भारतीय संस्कृति संर्वधन पर जोर दिया गया।

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