कलाएं ही जीवन को वास्तव में जीवन बनाती है: बालकिशन

शिक्षा भारती विद्यालय, रामनगर, रोहतक छात्रा शाखा में विद्या भारती से संबद्ध हिन्दू शिक्षा समिति हरियाणा प्रांत के तत्वाधान में दो दिवसीय कला संगम का भव्य आयोजन हुआ जो 31 अक्टूबर से 1 नवम्बर तक चला। जिसमें ‘कला व संगीत’ संबंधित चित्रकला, रंगोली, स्लोगन, पोस्टर मेकिंग, कलात्मक कलाकृति निर्माण, मृर्तिकला, कोलाॅज, लोककला, कपड़ा रंगाई , कविता, एकल गायन, लोक नृत्य, वादन, हरियाणवी लोकगीत, शास्त्रीय गायन व नृत्य, मूक अभिनय आदि अनेक गतिविधियों में हरियाणा प्रान्त  के 13 विद्यालयों के 248 विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिनमें संगीत विधा के 139 तथा कला विधा के विभिन्न गतिविधियों में 109 प्रतिभागी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के प्रथम दिन दिनांक 31 अक्टूबर को उद्घाटन सत्र का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हुकुमचंद, डीन एवं प्रो0 एव विभागाध्यक्ष एमडीयू, विशिष्ट अतिथि डाॅ0 नीरा शर्मा, प्राचार्या वैश्य महिला महाविद्यालय, हिन्दू शिक्षा समिति के संगठन मंत्री श्री बालकिशन जी, सहसंगठन मंत्री श्री रवि कुमार जी, प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री चन्द्रसेन जी, प्रबंधक डाॅ0 विजेन्द्र कुमार जी गोयल, सचिव श्री अनुराग जी जैन व कोषाध्यक्ष श्री वेद जी सेतिया के करकमलों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व वंदना से हुआ। इस अवसर पर माननीय श्री सुरेश जी, श्री ओम प्रकाश जी मलिक, श्री हरीश जी पसरीजा, श्रीमती पिंक प्रभा जी, श्रीमती कंचन जी, श्रीमती अरूणा तनेजा जी, श्रीमती रजनी जी, श्री दीपक जी, श्री संजय सोनी जी, विद्यालय की सेवानिवृत अध्यापिकाएँ तथा पूर्व छात्र सहित अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र की शुरूआत में विद्यालय प्राचार्या श्रीमती लक्की सचदेवा ने समारोह में उपस्थित महानुभावों का परिचय करवाते हुए उनका स्वागत व अभिनंदन किया। मुख्य वक्ता माननीय श्री बालकिशन जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कलाएँ ही जीवन को वास्तव में जीवन्त बनाती है। कला संगम मंच के माध्यम से बाल कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलता है। तत्पश्चात् वर्गानुसार अनेक गतिविधियाँ करवाई गई जिनमें एक तरफ तो बच्चों ने अपनी कलात्मकता, सृजनात्मकता, रचनात्मकता का परिचय देते हुए मेरा गाँव, स्वच्छ भारत, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, रामायण, महाभारत, गौरक्षा, 2022 का भारत, महान विभूतियों के चित्र स्वदेशी अभियान, भारत का गौरव, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वर्ण जयंती हरियाणा, छोटा परिवार, पृथ्वी बचाओ आदि समसामयिक विषयों पर चित्रकला व पोस्टर बनाए। बेकार वस्तुओं से फूल पत्ती के डिजाइन, पशु-पक्षी आदि की आकृतियां बनाई, कोलाॅज आदि के माध्यम से जागरूकता का संदेश दिया तो रंगोली, थापा, सांझी, अहोई आदि बनाकर विस्मृत होती भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित कर उनके संरक्षण व संवर्द्धन का संदेश दिया तो वही दूसरी तरफ वीर रस से परिपूर्ण कविता, एकल गीत, भांगडा, हरियाणवी लोक नृत्य, शास्त्रीय-उपशास्त्रीय संगीत, नृत्य आदि के माध्यम से भारतीय गीत-संगीत की अनोखी मिसाल पेश की और पूरे वातावरण को संगीतमय कर दिया। भारत की विभिन्न संस्कृतियां यहां एक मंच पर नजर्र आइं।

कार्यक्रम के सांयकालीन सत्र में कार्यक्रम के कला संयोजक श्री दीपक जी ने चित्रकला से संबंधित एक कार्यशाला लगवाई जिसमें उन्होनें बच्चों को चित्रकला की बारीकियाँ समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया कि किस प्रकार एकाग्र मन से अपनी अन्तर्निहित प्रतिभाओं को रंगों की सहायता से कागज पर उकेरा जाता है।

कला संगम के दूसरे दिन विभिन्न विद्यालयों से आए प्रतिभावान व मेधावी कलाकार बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों जैसे पोस्टर, चित्रकला, मिट्टी की मूर्तिकला, स्लोगन लेखन, अनुपयोगी वस्तुओं से बनी कलाकृतियाँ, हरियाणवी लोककला, रंगोली, थापा, अहोई माता, हरियाणवी लोककला आदि की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार सुश्री मेघा कत्याल ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए बच्चों की कला की मुक्त कंठ से प्रशंसा की तथा उन्हें कला की बारीकियाँ भी समझाई।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र यानि समापन सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय महेश जी जोशी, मुख्य सलाहकार MACC. कुरुक्षेत्र विशिष्ट अतिथि सुश्री मेघा कत्याल, अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार, माननीय अवधेश जी पाण्डेय, मंत्री, हिन्दू शिक्षा समिति, कुरूक्षेत्र,  सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्रों द्वारा शास्त्रीय गायन, वादन की मंत्र मुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत की गई। हरियाणा स्वर्ण जंयती के शुभ अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा ‘गूंज सुनो हरियाणा की’ गीत पर किए गए हरियाणवी नृत्य ने जमकर तालियाँ बटोरी। तत्पश्चात् प्रतिभागी बच्चों को प्रमाण पत्र व ट्राफी देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अवधेश जी पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि बच्चों के अंदर अनेक प्रकार की प्रतिभाएँ छिपी होती है जो कई बार अवसर के अभाव में विकसित नहीं हो पाती। उन्हांेनें बताया कि कला संगम इस प्रकार का मंच है जो बच्चों की अन्तर्निहित प्रतिभाओं को बाहर निकालकर उसे सही दिशा देने का अवसर प्रदान करता है। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष चन्द्रसेन जैन जी ने कला संगम में आए सभी महानुभावों, अतिथियों व आचार्यों का धन्यवाद किया और आशा की कि बच्चों ने इस मंच से एक दूसरे की कलाओं से कुछ नया सीखा होगा तथा साथ ही भविष्य में अपनी कला को राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने की शुभकामनाएँ दी।

 

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