पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने शिक्षा को संस्कार, ज्ञान एवं चरित्र से जोड़ते हुए त्रिवेणी कहा है । उन्होंने कुंती ,द्रौपदी एवं अहिल्या जैसी महान नारियों के व्यक्तित्व से जोड़ते हुए वर्तमान पीढ़ी की शिक्षा जागृत की है । यह विचार श्रीमती कुसुम कौशल जी-बालिका शिक्षा संयोजिका विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने दो दिवसीय (12 से 13 अगस्त, 2021, गीता निकेतन विद्या मंदिर, मोहन नगर, कुरुक्षेत्र) प्रांतीय बालिका शिक्षा प्रमुख कार्यशाला में कहे। साथ ही उन्होंने शिक्षा के बारे में बताते हुए शिक्षा के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला ।
कार्यशाला में विभिन्न गट बनाकर विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए कहा गया जिसमें मोबाइल का समझदारी से उपयोग व पारंपरिक रीति-रिवाज और मान्यताएं ,रसोईघर एक औषधालय जैसे विषयों पर चर्चा की गई । कार्यशाला में श्रीमती रेखा चुड़ासमा जी- बालिका शिक्षा प्रमुख अखिल भारतीय द्वारा एक सत्र ऑनलाइन लिया गया जिसका मुख्य विषय नारी सशक्तिकरण एवं विकास रहा। उन्होंने कोरोना से संबंधित समस्याओं एवं समाधान पर चर्चा की। कार्यशाला में रसोईघर के महत्व पर भी चर्चा की गई और घर में अनेक प्रकार की बीमारियों का इलाज करने के लिए प्रेरित किया गया। बालिका शिक्षा के अंतर्गत कन्या भारती के बारे में भी बताया और हर बालिका को कार्यभार देने के लिए भी कहा गया। इसके अतिरिक्त नई शिक्षा नीति के बारे में भी चर्चा की गई और अंतिम सत्र श्रीमती मंजू मानव-प्रांतीय बालिका शिक्षा प्रमुख के द्वारा लिया गया जिसमें उन्होंने बालिका शिक्षा का नया गीत “हम बेटी भारतवर्ष की” का अभ्यास करवाया।
समापन सत्र में रवि कुमार-संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा ने शिशु भारती, बाल भारती व कन्या भारती में अंतर बताया और बालिका शिक्षा से जुड़ी अनेक बातों पर पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में 21 प्रतिभागियों ने भाग लिया।