ई शिक्षा विकल्प हो सकता है समाधान नहीं। कोरोना के बंद के कारण विद्यालय एवं अध्यापकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। बच्चे आडीयो, वीडियो, नोट करके या कर्मेन्द्रियों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण माध्यम कर्मेन्द्रियों के माध्यम अर्थात स्वयं प्रेक्टिकल करने से बच्चे जल्दी सिखतें है। अध्यापक का महत्वपूर्ण कार्य बच्चों की कर्मेन्द्रियों को जगाना है। मन, बुद्धि एवं चित्त के सामंजस्य के बिना हम कुछ नहीं सिख सकते। बिना इनके बच्चे शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ है, उनका मन शिक्षा में लगे इसकी जिम्मेदारी भी अध्यापकों की ही बनती है। गतिविधियों पर आधारित पाठ्यक्रम ही बच्चो का मन शिक्षा की ओर लेकर आता है। ये विचार अवनीश भटनागर, अखिल भारतीय मंत्री, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने “वर्तमान संदर्भ एवं शिक्षा क्षेत्र के कार्यकर्त्ता के रूप में हमारी भूमिका’ विषय पर 30 मई 2020 को आयोजित व्याख्यान में रखे। इसका आयोजन विद्या भारती हरियाणा के यूट्यूब चैनल के माध्यम से Live किया गया था। जिसमें प्रान्त के 500 से अधिक कार्यकर्ताओं एवं आचार्यों ने भाग लिया।
उन्होंने गणित का उदाहरण देते हुए बताया कि गणित हमारे दैनिक कार्यों में सम्मलित होता है। अध्यापक को चाहिए उन उदाहरणों के साथ बच्चों को समझाएं। अच्छा अध्यापक वहीं है जो निरंतर कुछ ना कुछ सिखने का प्रयास करता है। उसके अंदर यह अभिमान नहीं होता कि केवल वह ही दूसरों को सिखा सकता है। वह केवल विद्या का दान कर सकता है उसके बदले कोई अपेक्षा नहीं रखता। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम की शिक्षा देना नहीं अपितु समाज में सिर ऊंचा खड़ा करने वाली संस्कारी शिक्षा देना भी है।
व्याख्यान का आरम्भ माँ सरस्वती वंदना से लिया गया और शांति मन्त्र के साथ यह आयोजन संपन्न हुआ।