हमारा उद्देश्य विद्या भारती के लक्ष्य को पूर्ण करना है : बाल किशन

हमारा उद्देश्य मात्र विद्यालय चलाना नहीं अपितु विद्या भारती के लक्ष्य को पूर्ण करना है। छात्र हमारा आधार है। वह हमारे किसी भी फटक यानी आचार्य प्रधानाचार्य के कारण विद्यालय ना छोड़े। विद्यार्थी एवं अभिभावक की संतुष्टि हमारा कर्तव्य है। यह विचार श्री बालकिशन जी–सह संगठन मंत्री, विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने विद्या भारती हरियाणा द्वारा आयोजित प्रांतीय प्रधानाचार्य कार्यशाला (15-18 मई, 2023) हिन्दू विद्या निकेतन, नूंह में कहे। साथ ही उन्होंने कहा कि 1952 में विद्या भारती ने गोरखपुर में पहला विद्यालय खोला गया और आज भारत में कुल 632 जिलों में विद्या भारती के विद्यालय सुचारू रूप से चल रहे है।

श्री देशराज शर्मा जी-महामंत्री, विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शिक्षा समाज का विषय है। समाज को सक्रिय करने में पञ्च प्राण का महत्त्व है। पञ्च प्राणों में आचार्य, छात्र, पूर्व छात्र, अभिभावक एवं प्रबंध समिति शामिल हैं। छात्र की पृष्ठभूमि, वातावरण और उसकी रुचि को देखकर ही कार्य देना चाहिए। पूर्व छात्रों को सपरिवार विद्यालय में बुलाना चाहिए। छात्रों के लिए सीखने का वातावरण बनाना चाहिए छात्रों को कुछ नया सिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसी के साथ श्री सुरेन्द्र अत्री जी-उपाध्यक्ष, विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने आये हुए प्रधानाचार्यों के समक्ष विचार रखते हुए कहा कि शिक्षा संस्कृत आधारित होनी चाहिए। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विद्या भारती ने शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखे। विद्या भारती कुछ सीमा तक नई शिक्षा नीति में समाहित तत्वों को पूरा करने में सफल रही है।

श्री विजय नड्डा जी-संगठन मंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने अपना विषय रखते हुए कहा कि विद्या भारती कि पहचान उनके अनुशासन और संस्कारों से है। विद्या भारती के पांच आधारभूत विषय-शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत व नैतिक एवं अध्यात्मिक शिक्षा है। विद्या भारती के छात्र मुख्य आयाम-विद्वत परिषद, क्रिया शोध, संस्कृति ज्ञान परीक्षा एवं पूर्व छात्र है केन्द्रीय विषयों में बालिका शिक्षा, वैदिक गणित, स्वदेशी और ग्राम विकास जैसे विषय शामिल है।

श्री गोविन्द महंत जी, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, विद्या भारती ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहली कक्षा में प्रवेश की आयु 5 से 7 वर्ष होनी चाहिए। अंक आधारित मूल्याङ्कन समाप्त किया जाना चाहिए। मातृभाषा में शिक्षा होनी चाहिए। अभिभावक प्रबोधन करना आवश्यक है। व्यक्तित्व व सामाजिक जीवन कैसा ? संघ में इसीलिए कुटुंब प्रबोधन आरम्भ किया। है। इस कार्यशाला में कुल 45 प्रधानाचार्यों ने भाग लिया।

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