विद्या भारती के विद्यालयों में NEP 2020 का 40% कार्य तो पहले से ही हो रहा है। 1964 से 1966 की नीति का 10% कार्य ही धरातल पर हुआ । 1985 – 86 की नीति में 20% कार्य हुआ परंतु 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य शत-प्रतिशत का है । यह विचार मा. देशराज शर्मा-महामंत्री विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने चार दिवसीय (15 से 18 अगस्त 2021, भारती भवन, कुरुक्षेत्र) प्रांतीय प्रधानाचार्य कार्यशाला में कहे साथ ही उन्होंने बताया कि हम हम शिक्षा धर्मी हैं शिक्षाकर्मी नहीं । हमारी प्राथमिकता करणीय कार्यों की सूची बनाना है । इस राष्ट्रीय शिक्षा शिक्षा नीति से ‘पुरानी नींव नया निर्माण‘ का कार्य होगा । भारतीय शिक्षा मनोविज्ञान यह बताता है कि शिक्षा का उद्देश्य कैसे प्राप्त होगा। भारतीय एवं पाश्चात्य शिक्षा मनोविज्ञान की बहुत खुलकर चर्चा हुई एवं मूलभूत अवधारणा को समझने का अवसर मिला।
श्री सुभाष जी-सेवा क्षेत्र प्रमुख विद्या भारती हरियाणा ने अपने उद्बोधन में ‘मूलभूत भाषा की ज्ञान की भारतीय संकल्पना’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीयता को आधार माना गया है । 1835 से 2021 तक देश में 7.5 प्रतिशत लोग भी ऐसे नहीं हैं, जो अंग्रेजी भाषा में तीनों कार्य कर सकें। बालक की पसंद के अनुसार चित्र दिखाना एवं बोली को भाषा में बदलना आदि ।
मा. रवि कुमार जी-प्रान्त संगठन मंत्री विद्या भारती हरियाणा ने पीपीटी के माध्यम से संवादात्मक शैली में विषय का प्रतिपादन किया। जिसमे भिन्न-भिन्न क्रियाओं के द्वारा प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी रही । ।NDEAR, NMM एवं NPSY पर विषय रखते हुए यह बताया की NDEAR (The National Digital Education Architecture) को 29 जुलाई के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया है। तकनीक 1970 में यूरोप एवं अमेरिका में, 1990 में भारत में (हॉटमेल), 2004 में गूगल ऑफिशियल इन पब्लिक डोमेन, 2005-06 साइबर कैफे और 2004 में ही फेसबुक प्रारंभ हुआ । इसके अतरिक मा. रवि कुमार जी ने आगामी आपने वाले कार्यक्रम के बारे में बताया कि संस्कृति बोध अभियान 1 से 15 सितंबर चलेगा, आजादी का अमृत महोत्सव, विद्या भारती ई पेपर शुरू हुआ है एवं हिंदू शिक्षा समिति की हीरक जयंती 2021 में 75 वर्ष पूर्ण होने पर (19 नवंबर 2021 से 19 नवंबर 2022 तक) मनाई जाएगी (यह कार्यक्रम संकुल व विद्यालय स्तर पर होगा)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के द्वारा भारत को महाशक्ति बनाना है ,इसका केंद्र शिक्षक रहेगा, उसके लिए शिक्षक के व्यावसायिक कौशल में निरंतर सुधार की आवश्यकता है। NMM(National Mission on Mentoring) पर बातचीत करते हुए विषय को आगे बढ़ाया तथा तथा यह कहा कि भविष्य में होने वाली कार्यशालाओं में इस विषय को विस्तार दिया जाएगा। NPST (National Professional Standards for Teachers) पर देते हुए यह बताया कि अध्यापकों को आने वाले मानकों के अनुरूप स्वयं को तैयार करना होगा।
श्री शेषपाल जी-प्रान्त शैक्षणिक प्रमुख विद्या भारती हरियाणा ने अपने विषय में Foundational Stage एवं ECCE (Early Childhood Care Education) के संबंध में विस्तार से अपनी बात चर्चात्मक शैली में रखी एवं उन्होंने कहा कि शिशुवाटिका सशक्त एवं समृद्ध हो,गतिविधियां सहज ,सरल, सरस पर निर्भार हों। इसके अतिरिक्त करोना काल में प्रत्यक्ष कक्षा न होने के कारण विद्यार्थियों के मन पर पड़े वांछित व अवांछित प्रभावों के संबंध में भी सभी के अनुभव सुने एवं मार्गदर्शन भी दिया।
श्री हर्ष कुमार जी-प्रशिक्षण प्रमुख विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने पीपीटी, वीडियो एवं ऑडियो के माध्यम से विषय प्रस्तुत करते हुए कहा कि ज्ञान अंतर्निहित होता है । शिक्षा आवरण को हटाने का कार्य करती है ज्ञान सार्वभौमिक सत्य है ,ब्रह्म का स्वरूप है, आत्म तत्व का स्वरूप है शाश्वत है और ज्ञान का सृजन नहीं किया जा सकता। शिक्षा ज्ञान की व्यवस्था है ,इसके अतिरिक्त इस विषय के अंतर्गत परम वैभव एवं धर्म की विस्तार से चर्चा हुई ।
कार्यशाला में दोनों समितियों (हिन्दू शिक्षा समिति कुरुक्षेत्र एवं ग्रामीण शिक्षा विकास समिति हरियाणा) के अध्यक्ष एवं महामंत्री उपस्थित रहे । आये हुए प्रतिभागियों को सात समूहों में विभाजित किया गया। इस कार्यशाला में प्रान्त से 37 प्रधानाचार्यों ने भाग लिया ।