हम इस देश के इतिहास के हमेशा ऋणी है : अवनीश भटनागर

आज पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगाँठ (अमृत महोत्सव) मना रहा है। यह समय उन बलिदानियों का याद करने का है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गए। यह विचार श्री अवनीश भटनागर जी अखिल भारतीय मंत्री, विद्या भारती ने विद्या भारती हरियाणा द्वारा आयोजित ऑनलाइन अमृत महोत्सव वेबिनार (पूर्व आचार्य) 1 नवम्बर 2021 (हरियाणा दिवस) में कहे । उन्होंने बताया कि अभी भी हमारा ज्ञान आजादी के इतिहास को लेकर अधूरा है। हम मात्र उतना ही जानते है जितना हमें पाठ्यपुस्तक में पढाया गया है इसके अतिरिक्त भी कई लोग ऐसे है जिन्होंने अपना बलिदान दिया। श्री अवनीश भटनागर जी विचार प्रकट करते हुए यह भी कहा कि हम इस देश के इतिहास के ऋणी है। अपने बच्चों को अवश्य बताये कि जो आजादी हमें मिली है वह कितनी कठिनायों बलिदानों के बाद मिली है।

श्री रवि कुमार जी प्रांत संगठन मंत्री विद्या भारती ने अपने उद्बोधन में बाते कि यह वर्ष एक विशेष महत्व का वर्ष है। जिन बलिदानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया ताकि हम स्वतंत्र भारत में सास ले सके। ऐसी हुतात्माओं को याद करने का करने का यह पर्व हैं। बहुत सारे ऐसे नाम एवं घटना है जिनका जिक्र इतिहास में नहीं हुआ है। आज की वर्तमान पीढ़ी और नई पीढ़ी को यह समझाए कि स्वतंत्रता आसानी से ही नहीं मिली है, उसके लिए बहुत सारे बलिदान और जीवन लगे है और उसका महत्व समझाते हुए हमारी स्वतंत्रता को हमने मात्र बचा के ही नहीं रखना इसे और भी प्रखर करना है यह भी संकल्प लेने का वर्ष है। अमृत महोत्सव के इस पर्व में सारा देश किसी न किसी माध्यम से इस स्वतंत्रता के महत्व और इतिहास को जानने का प्रयास कर रहा है। विद्या भारती ने भी इस कड़ी में अनेक प्रकार के कार्यक्रमों की रचना की है

श्री रतनचंद सरदाना जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हमारे देश में आजादी का 75वां वर्ष चल रहा है इन 75 वर्षों में हमने क्या खोया और क्या पाया इसका विश्लेषण भी होता रहेगा। इस पर्व में बलिदानियों को भी याद किया जाएगा। आजादी में हुए बलिदानियों के नाम हम जानते है परन्तु इससे भी ज्यादा नाम हमारी दृष्टि से ओझल है। जिस प्रकार हमारे सामने भवन तो दिखाई देता है परन्तु उस भवन की नीव देखने के लिये विशेष दृष्टि एवं प्रयास की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया की हमें अपने इतिहास को खोजना होगा। सरदाना जी ने कहा कि मैंने आजादी के पहले का कुछ बचपन देखा है गुलामी क्या होती थी यह तो पता नहीं परन्तु आजादी के लिए हमने क्या कीमत चुकाई है यह मालूम है । आज़ादी के स्वतंत्रता सेनानियों के हरियाणा के बहुत से बलिदानी हुए है। इस वेबिनार में 90 पूर्व आचार्यों में भाग लिया।

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