विद्या भारती हरियाणा द्वारा संस्कृति भवन, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय परिसर में अध्यापक की गुणवत्ता पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अवनीश भटनागर, राष्ट्रीय मंत्री, विद्या भारती ने कहा कि अध्यापक की गुणवत्ता समाज , प्रशासन, व्यक्तिगत रूचि, प्रशिक्षण व शोध पर निर्भर करती है। अच्छा शिक्षक वह होता है जो निरंतर अपना शिक्षण जारी रखता है। समाज शिक्षक पर विश्वास कर अपने बच्चों को उनके पास भेजता है। अध्यापक को भी उस विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए। अध्यापक को निरंतर प्रशिक्षण की जरूरत रहती है प्रशासन व प्रबंधन को उनके लिए इस तरह की व्यवस्थाएं करनी चाहिए। हम सब मिलकर समाज को एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षक दे सकते हैं।
डॉ रामचंद्र , प्रोफेसर संस्कृत विभाग ने कहा कि एक चरित्रवान शिक्षक ही संस्कारवान शिक्षा दे सकता है। अध्यापक को निरंतर शोध व प्रशिक्षण से गुजरता रहना चाहिए। ऐसा करने से उसकी शिक्षण पद्धति में निखार आता है।
डॉ अनामिका ने सरकारी व निजी विद्यालयों के अंतर व निजी विद्यालयों के शिक्षकों पर रहने वाले दबाव को कम करने की वकालत की।
डॉ नीरज मित्तल, मित्तल पैथ लैब ने कहा कि भारत में स्कूली शिक्षा अन्य देशों से बेहतर है अगर हम उच्ततर शिक्षा मे सुधार ला सके तो भारत देश पूरी दुनिया में सिरमौर बन सकता है।
डॉ विवेक ललित ने कहा अच्छा शिक्षक वही हो सकता है जो अपने मन से इस कार्य में आता है। मजबूरी में बना अध्यापक कभी विद्यार्थियों के साथ न्याय नहीं कर सकता।
इनके अलावा क्रांति चावला, विकास गाबा, अर्चना शर्मा, रंजन शर्मी, कुशुम कौशल, विवेक शर्मा, महावीर भारद्वाज ने भी अपने विचार रखे।
डॉ पंकज शर्मा ने सभी अतिथियों का परिचय करवाया व संगोष्ठी समन्वयक की भूमिका निभाई।
डॉ चितरंजन कौशल ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।