
शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है एवं शिक्षा से ही बालक का सर्वांगीण विकास होता है। शिक्षा ही मनुष्य को सच्चे अर्थों में मानव बना कर मानवता के गुणों का विकास करती है। किसी भी देश की शिक्षा व संस्कृति उसके जीवन दर्शन से जुड़ी होती है। हमारी सभी ज्ञानेंद्रियों, कर्मेंद्रियों, मन बुद्धि चित्त अहंकार और आत्मा का विकास करने वाली शिक्षा ही है। शिक्षा से ही वसुधैव कुटुंबकम की भावना आती है। हमारी शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक की बौद्धिक तकनीकी और श्रम कौशल सृजनशीलता का विकास हो सके। शिक्षा से ही सर्वे भवंतु सुखिनः का वास्तविक भाव अंतस में पैदा होता है यह विचार श्रीमती नम्रता दत्त जी-शिशुवाटिका संयोजिका विद्या भारती उत्तर क्षेत्र ने दो दिवसीय (24 से 25 जुलाई 2020) ऑनलाइन प्रांतीय महिला कार्यकर्त्ता कार्यशाला में रखे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा जन्म से प्रारंभ होती है और मुक्ति मरणोपरांत होती है अतः शिक्षा ही सा विद्या या विमुक्तये की प्राप्ति कर आती है। हमें अपनी शिक्षा को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करना चाहिए। हमारी नई पीढ़ी जीवन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार होनी चाहिए।
अगले सत्र में श्री मंजीत यादव -राष्ट्रीय सेविका समिति का मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कार्यकर्ता के 14 गुणों के बारे में विस्तार से बताया। यह 14 गुण इस प्रकार हैं। संयम ,सामर्थ्य ,समर्पित ,स्वयं विवेकी, स्वयं अनुशासन ,समय पालन, स्वभाव ,संपर्क ,संकल्प, स्वाभिमानी ,सेवाभाव , सौम्य स्वभाव ,सुव्यवस्थित ,स्वाध्याय और श्रद्धा भाव आदि। देव प्रसाद भारद्वाज -अध्यक्ष विद्या भारती हरियाणा जी ने भी अपने विचारों से अवगत करावाया कि कार्यकर्ता संगठन की रीढ़ की हड्डी होता है अतः कार्यकर्ता कैसा हो इस पर हमें ध्यान देना चाहिए। एक कार्यकर्ता को नए प्रयोग करने की समझ व योग्यता अपने अंदर पैदा करनी चाहिए। कार्यकर्ता की त्रुटि को यथा स्थान चर्चा करना व उसके गुणों की सर्वत्र चर्चा करना जिससे उसका सम्यक विकास हो सके।
डॉ अवधेश पाण्डेय -मंत्री, हिन्दू शिक्षा समिति कुरुक्षेत्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा ही मस्तिष्क को इस योग्य बनाती है जो सत्य को जान सके उसे धारण कर सके और अंत में सत्य को अभिव्यक्त भी कर सके। हम योजनाबद्ध तरीके से औपचारिक शिक्षा का पालन करते हैं लेकिन विद्यालय में आने से पहले ही बच्चे की अनौपचारिक शिक्षा प्रारंभ हो जाती है। हमें अभिभावक मीटिंग में भी अनौपचारिक शिक्षा के बारे में बातचीत व चर्चा करनी चाहिए तभी हमारी यह कार्यशाला करना सफल होगा।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में माननीय रवि कुमार जी -प्रांत संगठन मंत्री, विद्या भारती हरियाणा का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ । उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि एक महिला कार्यकर्ता होने पर किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? एक महिला कार्यकर्ता का दायित्व क्या है? हम अब महिला दुनिया की 50% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं हम सभी महिलाओं में भी आत्म तत्व पुरुषों के समान ही विद्यमान हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए। किसी भी प्रकार की बैठक होने पर महिला को भी अपनी उपस्थिति वक्तृत्व रूप में देनी चाहिए।
बालिका शिक्षा पाठ्यक्रम में महिला की भूमिका विशेष रूप से रहती है। एक महिला होने के नाते बालक के विषय में, बालक के आहार विहार के विषय में,बालक की रूचि अभिरुचि के विषय में हम अच्छी समझ रखते हैं। बालिका शिक्षा विषय प्रमुख को भी अपने विषय की योजना बनानी चाहिए और प्रधानाचार्य के सहयोग से उसे क्रियान्वित करना चाहिए। एक कार्यकर्ता होने के नाते हम में इन गुणों का होना आवश्यक है जैसे:_समय देना, अपने परिवार व कार्य का समन्वय करना। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना, निरंतर अध्ययन करने का स्वभाव होना, और वक्तृत्व कला का होना आवश्यक है। एक कार्यकर्ता के नाते हमारा स्वयं का विकास हो हमारा चिंतन व स्वाध्याय और अभिव्यक्ति प्रस्तुति विकसित हो यही इस कार्यशाला का उद्देश्य है। इस कार्यशाला में प्रान्त भर से 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
